Thursday, May 31, 2012

रोजगार के लिहाज से तालीम

सरकार पेशेगत व घरेलू उद्योग-धंधों में लगे अल्पसंख्यकों, खास तौर मुस्लिम समुदाय के बच्चों को उनकी स्थानीय जरूरतों के लिहाज से कुशल (स्किल्ड) कामगार बनाने की तालीम दिलाएगी। चाहे वह तांबे की शिल्पकारी के लिए मशहूर मुरादाबाद हो या फिर कांच की चूडि़यों के लिए मशहूर फीरोजाबाद अथवा कि किसी और क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले उद्योग-धंधों के दूसरे शहर। सरकार उन सभी को उनकी मुकामी औद्योगिक जरूरतों के मद्देनजर व्यावसायिक शिक्षा का इंतजाम करेगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बुधवार को यहां कहा कि अल्पसंख्यक छात्रों की तालीम के लिए ही उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा स्थायी निगरानी
समिति (एनएमसीएमई) की पांच उप समितियों भी गठित कर दी है। सभी समितियां अलग-अलग मामलों में जमीनी हकीकत की पड़ताल कर तीन महीने के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट देंगी। एक उप समिति व्यावसायिक शिक्षा व कौशल विकास पर रिपोर्ट देगी। अल्पसंख्यक बहुल 90 जिलों में चल रहे कार्यो की हकीकत जानने के बाद वह अलग-अलग तरह के पाठ्यक्रमों को सुझाव देगी। पाठ्यक्रम 10+2 स्तर का होगा। उसकी पढ़ाई के बाद सर्टिफिकेट भी मिलेगा। बाद में उसके आधार पर आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला भी मिल सकेगा। सिब्बल ने जोड़ा कि उप समिति अलग-अलग उद्योग-धंधों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, कानपुर, फिरोजाबाद, अलीगढ़ और देश के दूसरे शहरों में जाकर वहां की स्थानीय जरूरतों के तहत तालीम व ट्रेनिंग की पड़ताल करेगी। इसी तरह एक उप समिति अल्पसंख्यक लड़कियों की शिक्षा की स्थिति के साथ ही उसमें और सुधार पर रिपोर्ट देखेगी। एक अन्य उप समिति उर्दू भाषा के संब‌र्द्धन के उपाय सुझाएगी। जबकि, एक दूसरी उप समिति अल्पसंख्यक बहुल जिलों क्षेत्रों में स्कूलों व उसकी जरूरतों के आधार पर अपनी रिपोर्ट देगी। एक और उप समिति अल्पसंख्यकों के लिए चल रहे कार्यक्रमों व योजनाओं के अमल की स्थिति पर रिपोर्ट देगी। सिब्बल ने बताया कि सरकार का इरादा उर्दू शिक्षकों का राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने का है। उससे पता चल सकेगा कि कितने शिक्षक उपलब्ध हैं। फिर उन्हें जरूरत की जगहों पर नियुक्त किया जाएगा। सरकार चाहकर भी उर्दू शिक्षकों को नहीं रख पा रही है।